![]() |
jaishankar prasad jeevan parichay |
श्री जयशंकर प्रसाद जी हिंदी भाषा के महान कवियों की सूची में शामिल नामों में से एक नाम है उनके बारे में आपको थोड़ी जानकारी दूँ , इससे पहले मैं उनके प्रोफेशन के बारे में थोड़ा बताना चाहूंगा क्योंकि मैं उन्हें नाटककार कहूं या एक कवि का हूं ये मुझे समझ नहीं आ रहा लेकिन फिर भी मैं उनकी प्रतिभा का बखान करूं तो वह हिंदी भाषा के एक महान कविकार , नाटककार , उपन्यासकार थे।
उन्हें छायावादी युग के स्तंभों में से एक स्तंभ माना जाता है क्योंकि उनके हिंदी काव्य ने एक प्रकार से छायावाद की स्थापना की है तो ऐसे महान महाकवि जयशंकर प्रसाद जी की छवि को में इतने कम शब्दों में नहीं दर्शाते हुए आपके लिए उनकी पूरी जीवन का वर्णन करूंगा ताकि आप भी उनकी इस कहानी या उनके जीवन परिचय से कुछ प्रेरणा ले सकें।
महाकवि जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय - Biography of Jaishankar Prasad
जयशंकर प्रसाद का जन्म -
हिंदी भाषा के महान कविकार श्री जयशंकर प्रसाद जी का जन्म 30 जनवरी सन 18 सो 89 में उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था अर्थात उत्तर प्रदेश का वाराणसी ग्राम श्री जयशंकर प्रसाद जी का जन्म स्थान है वहीं पर ही वे पले-बड़े हैं।
जयशंकर प्रसाद का परिवार -
उनके परिवार का परिचय दें तो उनके परिवार के प्रथम सदस्य उनके दादाजी थे,जिनका नाम " बाबू शिवरतन साहू " था। जो अपने दान-धर्म के कारण लोगों में अत्यधिक प्रसिद्ध माने जाते थे।
फिर बात करें उनके पिता की तो उनके पिताजी का नाम " बाबू देवी प्रसाद " था, जो लोगों में कलाकारों के आदर सम्मान भाव रखने के कारण जाने जाते थे।
उनकी माता का नाम कुछ लेखों के आधार पर " मुन्नी देवी " बताया जाता है। इसके अलावा उनका एक बड़ा भाई भी था, बताया जाता है कि जब जयशंकर प्रसाद जी 16 या 17 वर्ष के थे तब उनकी माता और भाई का किसी कारणवश देहांत हो गया।
उस समय जयशंकर प्रसाद जी पर ही घर का सारा भार आ चुका था। कुछ लेखों की माने तो इन्होने अपनी मौसी की लड़की के साथ शादी कर ली थी और इसके आलावा इनकी अन्य पत्नियों का भी जिक्र उन लेखों में किया गया है माना जाता है कि इनकी कुल 7 संताने थी जिनमें 6 पुत्रियां और एक पुत्र था।
जयशंकर प्रसाद जी की शिक्षा
प्रसाद जी की शिक्षा की शुरुआत " क्वींस नामक " कॉलेज से हुई जो वाराणसी में स्थित एक राजकीय इंटर कॉलेज है परंतु इसके बाद उन्होंने वहां पढ़ाई करना छोड़ दिया और अपने घर में से ही पढ़ाई करने का निर्णय लिया और घर में रहकर ही यह संस्कृत हिंदी उर्दू और फारसी जैसी भाषाओं में अध्ययन किया करते थे।
आपको बता दें कि " दीनबंधु ब्रह्मचारी " जैसे विद्वान इन के शिक्षक रह चुके हैं माना जाता है कि बचपन से ही इनकी साहित्य और कला के क्षेत्र में अत्यधिक रुचि रही है इसी रूचि और जिज्ञासुपान के कारण उन्होंने मात्र 9 वर्ष की उम्र में वज्रभाषा भाषा में " कलराज " जैसी महान रचनाओं को रच दिया जयशंकर प्रसाद जी ने वेदों पुराणों साहित्य शास्त्रों में अत्यधिक अध्ययन किया हुआ था।
जयशंकर प्रसाद जी की रचनाएं
कविताएँ -
उर्वशी (1909 ) , वन मिलन (1909 ) , प्रेम राज्य (1909 ) , अयोध्या का उद्धार (1910 ) , शोकोच्छ्वास (1910) , महाराणा का महत्व (1914 ) , चित्रधारा (1918 ) , झरना (1918 ) , आँसू (1925 ) , लहर (1933) , प्रेमपथिक , कानन कुसुम , कामायनी (1936 )
उपरोक्त सभी कविताएँ श्री जयशंकर प्रसाद जी दुवारा लिखी गयी है। आपको बतादें की कामायनी प्रसाद जी के जीवन का अंतिम महाकाव्य था, जो उन्होंने वर्ष 1936 में प्रकाशित हुआ था।
उपन्यास -
कंकाल (1929) , तितली (1934), इरावती (अपूर्ण)
नाटक -
सज्जन (1910) , करुणालय (1913) , प्रायश्चित (1913) , राज्य श्री (1915) ,विशाख (1921) , आजातशत्रु (1922) , जनमेजय का नाग - यज्ञ (1926 ) , कामना (1927) , स्कंदगुप्त (1928) , एक घूँट (1929 ) , चंद्रगुप्त (1931) , ध्रुवस्वामिनी (1933 )
कहानी संग्रह -
ग्राम (1911) , छाया (1912 ) ,प्रतिध्वनि (1926) , आकाशदीप (1929) , आँधी (1931) , इंद्रजाल (1936 )
इन सब के आलावा भी उन्होंने बहुत-सी कहानियों की रचना की थी और कहा जाता है की जयशंकर प्रसाद जी की अंतिम कहानी का नाम " सलावती " था।
निबन्ध - काव्य और कला
पुरस्कार -
प्रसाद जी को कामायनी महाकाव्य जैसी महान रचना करने के कारण " मंगलाप्रसाद पारितोषिक " पुरस्कार मिला है। मंगलाप्रसाद पुरस्कार के बारे में आपको थोड़ा बताऊं तो ये काशी के एक प्रसिद्ध मंगला प्रसाद परिवार द्वारा साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले व्यक्ति को प्रदान किया जाता है। और इस पुरस्कार का संस्थापक पुरुषोत्तम दास टंडन को मन जाता है , जो एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे।
जयशंकर प्रसाद जी की मृत्यु -
भारत के एक महान कवि श्री जयशंकर प्रसाद जी मृत्यु 14 नवम्बर वर्ष 1937 को काशी में हुई। कई पत्रिकाओं और विभिन्न लेखो की माने तो बताया जाता है की जयशंकर जी की मृत्यु " क्षय " रोग होने के कारण हुई थी। आपको बतादें जब प्रसाद जी की मृत्यु हुई उस वक्त उनकी उम्र सिर्फ मात्र 48 वर्ष थी और इतनी कम उम्र में ही उन जैसे एक महान महाकवि की मृत्यु हो गयी।
last line for Jaishankar Prasad Biography
अगर आप किसी एग्जाम की तैयारी कर रहने है और आप चाहते है की में आपके लिए जयशंकर प्रसाद जी की रचनाओं , कविताओं और उनके जीवन से सम्बन्धित कुछ ट्रिप्स एंड ट्रिक्स बताऊं जिससे आप आसानी से इन्हे याद कर सको तो आप मुझे कोमेंट में अपनी राय बताइये और साथ ही थोड़ इस पोस्ट का रिव्यु भी कमेंट बॉक्स में लिख देना। अगर आप इस तरह की और जीवन परिचय पढ़ना पसंद करते हो तो आपकी और हमारी इस study tegसाइट को pin कर लो और इसके साथ ही आप हमें इंस्टाग्राम ,फेसबुक ,ट्विटर पर जरूर फॉलो कर लीजिये।
धन्यवाद
टिप्पणियाँ